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Sunday, 29 April 2018

यूपी बोर्ड परीक्षा परिणाम में दिखा सख्ती का असर , पिछले कई वर्षो के मुकाबले इस बार यूपी बोर्ड परीक्षा का उत्तीर्ण प्रतिशत काफी कम आया , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 

यूपी बोर्ड परीक्षा परिणाम में दिखा सख्ती का असर , पिछले कई वर्षो के मुकाबले इस बार यूपी बोर्ड परीक्षा का उत्तीर्ण प्रतिशत काफी कम आया , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 




इसे यूपी सरकार की सख्ती का नतीजा कहें या फिर कोई और वजह मानें कि पिछले कई वर्षो के मुकाबले इस साल यूपी बोर्ड परीक्षा का उत्तीर्ण प्रतिशत काफी कम आया। हाईस्कूल में इस वर्ष 75.16 फीसद परीक्षार्थियों को ही कामयाबी हासिल हो सकी, जबकि पिछले साल सफलता का प्रतिशत 81.18 रहा। इसके पूर्व के वर्षो में रिजल्ट और बेहतर रहा है। इंटरमीडिएट में भी इस साल 72.43 प्रतिशत ही छात्र उत्तीर्ण हो पाये, जबकि हाल के वर्षो में कामयाबी का प्रतिशत 92 फीसद से ज्यादा तक रहा।

हाईस्कूल में हाल के वर्षो में इस साल छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत कम आया है। इसके पूर्व 2017 में 81.18, वर्ष 2016 में 87.66, वर्ष 2015 में 83.74, वर्ष 2014 में 86.71, वर्ष 2013 में 86.63 और वर्ष 2012 में 83.75 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे। वैसे इसके पूर्व के वर्षो में परीक्षा का प्रतिशत इस साल के मुकाबले काफी कम रहा है। 2008 में तो केवल 40.07 प्रतिशत ही परीक्षार्थी कामयाब हो सके थे।इसी तरह इंटरमीडिएट में पिछले कई वर्षो के मुकाबले इस बार काफी कम परीक्षार्थियों को सफलता मिल पायी। इस बार केवल 72.43 फीसद परीक्षार्थी पास हो पाये, जबकि 2009 के बाद के वर्षो में इस साल का उत्तीर्ण प्रतिशत सबसे कम है। वर्ष 2013 और वर्ष 2014 में तो 92 प्रतिशत से भी ज्यादा परीक्षार्थियों को कामयाबी हासिल हुई थी। वर्ष 2009 में 79.52 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए थे। 2017 तक 80 फीसद से ज्यादा परीक्षार्थी उत्तीर्ण होते रहे। 2017 में 82.62 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए थे। उत्तीर्ण प्रतिशत घटने की वजह यूपी सरकार की सख्ती ही रही। सख्ती का ही नतीजा रहा कि साढ़े 11 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों ने बीच में परीक्षा छोड़ दी थी। नकल पर लगाम लगाने के लिए कई स्तरों पर कड़ाई बरती गयी थी। सीसीटीवी कैमरों की निगहबानी में परीक्षाएं करायी गयीं।

 कई परीक्षा केंद्रों पर नजर तो सीधे यूपी बोर्ड मुख्यालय से रखी जा रही थी। नकल माफियाओं पर नकेल कसने और नकल रोकने को उड़न दस्ते तो हरकत में रहे ही। प्रशासनिक अधिकारियों से भी करारी कसरत करायी गयी। दो हजार से ज्यादा नकलबाज पकड़े गये और सौ से ज्यादा परीक्षा केंद्रों को सामूहिक नकल के आरोप में निरस्त कर दिया गया था। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में भी सतर्कता बरती गयी थी। परीक्षा केंद्रों का निर्धारण पहली बार ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत किया गया। बदनाम परीक्षा केंद्रों काली सूची में पहले ही रख दिया गया था। इस साल परीक्षा में गत वर्ष के 31 जनपदों के स्थान पर 50 जनपदों के क्रमांकयुक्त उत्तर पुस्तिकाओं का इस्तेमाल किया गया। परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का हरसम्भव प्रयास किया गया और इसी का नतीजा रहा उत्तीर्ण प्रतिशत में गिरावट आयी। प्रदेश में 337 ऐसे विद्यालय चिह्नित हुए हैं, जहां के 20 प्रतिशत भी छात्र-छात्राएं नहीं पास हो सके हैं।

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